माँ महागौरी की कथा एवं आरती
माँ महागौरी नवरात्रि के आठवें दिन पूजित होती हैं। वे श्वेत रंग की, अति शांत, करुणामयी और तेजस्वी देवी हैं। उनका स्वरूप पूर्ण रूप से शुद्धता और कल्याण का प्रतीक है। पौराणिक कथा जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, तब वे कई वर्षों तक घने जंगलों में रहीं और इस कारण उनका शरीर धूल और मिट्टी से ढक गया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे वे अति गौर वर्ण की हो गईं और तब से वे महागौरी के नाम से विख्यात हुईं। माँ महागौरी का स्वरूप उनका वर्ण गौरा (श्वेत) रंग का है। वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में अभयमुद्रा है। वे वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं। वे शांत, करुणामयी और दयालु हैं। माँ महागौरी की पूजा का महत्व माँ की कृपा से सभी