Why We Celebrate Rath Yatra
Introduction Rath Yatra, also known as the Festival of Chariots, is a significant Hindu festival celebrated with immense enthusiasm and devotion. The festival, primarily observed in Puri, Odisha, is dedicated to Lord Jagannath, an incarnation of Lord Vishnu, and his siblings, Lord Balabhadra and Goddess Subhadra. Rath Yatra is celebrated for various religious, mythological, and […]
Rath Yatra: A Divine Journey of Faith and Celebration

🚩 Rath Yatra: Divine Journey of Lord Jagannath in Delhi Introduction Rath Yatra is a sacred and vibrant Hindu festival celebrated with immense devotion. Also called the Festival of Chariots, it marks the grand procession of Lord Jagannath, Lord Balabhadra, and Goddess Subhadra from the Jagannath Temple to the Gundicha Temple. In Delhi, this spiritual […]
SUNDERKAND PATH

सुंदरकांड पाठ । ॥ श्लोक ॥ शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं, ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्। रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥१॥ नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये,सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे,कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥२॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥३॥ ॥ चौपाई ॥ जामवंत के बचन सुहाए।सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥ तब […]
Shree Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा)

Shree Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारिबरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमारबल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागरजय कपीस तिहुं लोक उजागररामदूत अतुलित बल धामाअंजनि पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगीकुमति निवार सुमति के संगीकंचन बरन बिराज […]
TULSI PUJA – तुलसी पूजा

Tulsi Puja तुलसी माता का स्तुति मंत्र देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। मां तुलसी का पूजन मंत्र तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।। तुलसी माता का ध्यान मंत्र तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी […]
रघु दास – भगवान जगन्नाथ के सच्चे भक्त | भागवत-कथा

रघु दास भगवान जगन्नाथ भक्त के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिनकी जीवन कथा भक्ति, त्याग और ईश्वर में अटूट विश्वास का प्रतीक है। उनकी भागवत-कथा आज भी असंख्य भक्तों को प्रेरणा देती है। एक समय रघु दास नाम के भगवान रामचन्द्र के एक महान भक्त थे। वह पुरी में जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार के […]
जगन्नाथ मंगल आरती (Jagannath Mangal Aarti)

आरती श्री जगन्नाथआरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी, मंगलकारी नाथ आपादा हरि,कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,अगर कपूर बाटी भव से धारी,आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,घर घरन बजता बाजे बंसुरी,घर घरन बजता बाजे बंसुरी,झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी,आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा […]
Pahili Bhog

Worth mentioning, the ‘Pahili Bhoga’ is a delicious ‘food’ prepared by Yashoda (mother of Lord Krishna). After ‘Margasira’ month, Goddess Lakshmi, wife of Lord Jagannath, visits her father’s house and stays there for one month. In her absence at Srimandir, mother Yashoda prepares food for her son Lord Jagannath and offers Him early in the […]
Ghodalagi Besha

From Odhan Sasthi to Basanta Panchami in the months of Margasira and Pousha. The month of Marghasira are the cooler parts of the year. Thus during the period from Margasira Sukla Sasthi tithi (the 6th day of the bright fortnight in Margasira) to Magha Sukla Panchami tithi (the 5th day of the bright fortnight in […]
Radha Damodar Astakam ?

नमामीश्वरं सच्चिदानन्दरूपं,लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम्। यशोदाभियोलूखलाधावमानं,परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या।।१।। रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तं,कराम्भोज-युग्मेन सातंकनेत्रम्। मुहुःश्वासकम्प – त्रिरेखाप्रकण्ठ –स्थित ग्रैव-दामोदरं भक्तिबद्धम्।।२।। इतीदृक् स्वलीलाभिरानन्द कुण्डे,स्वघोषं निमज्जन्तमाख्यापयन्तम्। तदीयेशितज्ञेषु भक्तैर्जितत्वं,पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे।।३।। वरं देव ! मोक्षं न मोक्षावधिं वा,न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह। इदन्ते वपुर्नाथ! गोपालबालं,सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः।।४।। इदन्ते मुखाम्भोजमव्यक्तनीलै -र्वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या। मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे,मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः।।५।। नमो देव […]