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आधार पाणा 2025: देवताओं के कंठ को तृप्त करता दिव्य अमृत – त्यागराज नगर में भगवान जगन्नाथ को समर्पित विशिष्ट भोग!

Adhar Pana Tyagaraj Nagar 2025: Divine Nectar offered to Lord Jagannath.

आधार पाणा त्यागराज नगर: जहाँ भगवान को मिलता है सबसे खास अमृत!

सोचिए, एक ऐसा पेय जो न केवल स्वाद में अद्वितीय है, बल्कि जिसका हर कण श्रद्धा और समर्पण से ओतप्रोत है. यह साधारण जल नहीं, बल्कि देवताओं के लिए तैयार किया गया एक विशेष भोग है. हम बात कर रहे हैं आधार पाणा की, रथ यात्रा के समापन की ओर बढ़ते हुए भगवान जगन्नाथ को अर्पित किए जाने वाले एक रहस्यमय और पवित्र पेय की.

07 जुलाई, 2025 को, दिल्ली के त्यागराज नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर एक ऐसे दुर्लभ अनुष्ठान का गवाह बनेगा. यहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर ही यह अलौकिक पेय श्रद्धापूर्वक चढ़ाया जाएगा. यह महज़ एक परंपरा नहीं, बल्कि कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है. वास्तव में, यह एक ऐसा विशिष्ट भोग है जो ब्रह्मांडीय शक्तियों के साथ हमारे संबंध को दर्शाता है. आइए, इस पवित्र विधान के पीछे छिपी कथाओं, इसके महत्व और त्यागराज नगर में इसके दिव्य आयोजन को करीब से जानें.

आधार पाणा: रथों पर सजा दिव्य पेय – एक विशिष्ट अनुष्ठान 

‘आधार पाणा’, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, दो शब्दों का संगम है: ‘आधार’ (रथों पर रखे गए विशेष पात्रों का ऊपरी हिस्सा) और ‘पाणा’ (एक मधुर, सुगंधित पेय). रथ यात्रा के अंतिम पड़ाव में, बाहुड़ा यात्रा और स्वर्णिम वेश के दिव्य दर्शन के पश्चात, यह महत्वपूर्ण अनुष्ठान संपन्न होता है. इस समय, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने भव्य रथों पर विराजमान रहते हैं और उन्हें यह विशेष मीठा पेय अर्पित किया जाता है.

पवित्र सामग्री का अद्भुत मिश्रण 

आधार पाणा किसी आम शर्बत से कहीं बढ़कर है. इसे अत्यंत पवित्र और दुर्लभ सामग्रियों से तैयार किया जाता है. शुद्ध दूध, ताज़ा पनीर, मिठास के लिए चीनी, विभिन्न प्रकार के मौसमी फल, सुगंधित मसाले जैसे इलायची और लौंग, केसर की स्वर्णिम पत्तियां, शीतलता के लिए कपूर और अन्य पावन जड़ी-बूटियाँ इस दिव्य पेय का हिस्सा होती हैं. इन सभी सामग्रियों को पारंपरिक रूप से मिट्टी के विशाल पात्रों में मिश्रित किया जाता है. ये बर्तन विशेष रूप से देवताओं के रथों पर रखे जाते हैं, और इस पेय को बनाने की पूरी प्रक्रिया को अत्यंत पवित्र और गोपनीय माना जाता है.

क्यों अर्पित होता है रथों पर यह भोग? 

यह प्रश्न स्वाभाविक है कि देवताओं को यह विशेष पेय उनके रथों पर ही क्यों चढ़ाया जाता है. इसका गहरा आध्यात्मिक रहस्य है. मान्यता है कि रथ यात्रा के दौरान देवताओं की सेवा में अनेक दृश्य और अदृश्य शक्तियाँ, सूक्ष्म जीव और दिव्य आत्माएँ संलग्न रहती हैं. रथों की सुरक्षा करने वाले, उनके निर्माण में सहयोग करने वाले और यात्रा को निर्विघ्न रूप से संपन्न कराने में अपनी भूमिका निभाने वाले सभी प्राणियों को तृप्त करने के लिए यह आधार पाणा अर्पित किया जाता है. संक्षेप में कहें तो, यह एक प्रकार से उनके प्रति आभार व्यक्त करने और उन्हें संतुष्ट करने का दिव्य विधान है.

आधार पाणा की आध्यात्मिक गहराई और प्रतीकात्मकता 

आधार पाणा का अनुष्ठान सतही तौर पर केवल एक भोग अर्पण प्रतीत हो सकता है, लेकिन इसकी जड़ें गहरी आध्यात्मिक मान्यताओं और प्रतीकात्मक अर्थों में फैली हुई हैं.

1. ब्रह्मांडीय सेवादारों का सम्मान (H3)

यह दृढ़ता से माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक विशाल ब्रह्मांडीय आयोजन है. इस यात्रा को सफल बनाने में न केवल भक्त और सेवक, बल्कि अनगिनत अलौकिक शक्तियाँ भी अपना योगदान देती हैं. आधार पाणा का अर्पण उन सभी ज्ञात और अज्ञात सेवादारों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक विनम्र प्रयास है. यह दर्शाता है कि स्वयं भगवान भी अपनी सेवा में लगे हर प्राणी के प्रति संवेदनशील और आभारी हैं.

2. आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार और शुद्धि 

आधार पाणा को देवताओं को अर्पित करने के बाद, यह एक पवित्र प्रसाद बन जाता है. हालांकि, इस प्रसाद को भक्तों में वितरित नहीं किया जाता. इसके विपरीत, देवताओं के भोग के पश्चात, मिट्टी के उन पात्रों को रथों पर ही तोड़ दिया जाता है. यह क्रिया एक गहन आध्यात्मिक अर्थ रखती है. यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह, शुद्धिकरण और नकारात्मकताओं के नाश का प्रतीक है. यह माना जाता है कि इससे रथ यात्रा के दौरान एकत्रित हुई किसी भी प्रकार की अशुद्धि या नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है.

3. रथ यात्रा के अंतिम पड़ाव का सूचक 

आधार पाणा का अनुष्ठान रथ यात्रा के समापन की ओर इशारा करता है. यह दर्शाता है कि देवताओं का रथों पर प्रवास अब अंतिम चरण में है और वे जल्द ही अपने मूल गर्भगृह में विराजमान होने वाले हैं. यह उत्सव की समाप्ति और भगवान के घर वापसी की तैयारी का एक महत्वपूर्ण संकेत है.

त्यागराज नगर में आधार पाणा: दिल्ली में दिव्य परंपरा का निर्वाह 

दिल्ली के त्यागराज नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी की सदियों पुरानी रथ यात्रा परंपरा को अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा के साथ निभाता आ रहा है. आधार पाणा का विशिष्ट अनुष्ठान भी यहाँ उसी पवित्रता और पारंपरिक विधि से संपन्न किया जाता है.

श्रद्धापूर्वक तैयारी और दिव्य अर्पण 

मंदिर के सेवादार और पुजारी आधार पाणा को तैयार करने की प्रक्रिया में पूरी तन्मयता से जुट जाते हैं. पारंपरिक ज्ञान और पवित्रता के नियमों का पालन करते हुए, वे सभी आवश्यक सामग्रियों का मिश्रण तैयार करते हैं. इसके बाद, इस दिव्य पेय को मिट्टी के बड़े पात्रों में भरकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के ऊपरी भाग (‘आधार’) पर सावधानीपूर्वक रखा जाता है.

मंत्रोच्चार और पवित्र अनुष्ठान 

पवित्र मंत्रों के उच्चारण और वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार, मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान को यह अलौकिक पेय अर्पित करते हैं. यह एक गंभीर और पवित्र अनुष्ठान होता है, जिसमें पूर्ण श्रद्धा और समर्पण का भाव निहित होता है. इस विशेष क्षण के साक्षी बनने के लिए भक्त दूर-दूर से एकत्रित होते हैं. भोग अर्पण के पश्चात, उन मिट्टी के पात्रों को रथों पर ही तोड़ दिया जाता है. यह इस बात का प्रतीक है कि यह भोग केवल देवताओं और उनकी सेवा में लगे दिव्य शक्तियों के लिए है.

शांति और भक्ति का अद्भुत संगम 

आधार पाणा के अनुष्ठान के दौरान त्यागराज नगर मंदिर का वातावरण शांति और भक्ति के एक अद्भुत संगम से भर जाता है. भक्तगण शांत मन से इस विशिष्ट भोग की प्रक्रिया को देखते हैं और भगवान के प्रति अपनी असीम श्रद्धा व्यक्त करते हैं. यह दृश्य न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भक्तों को आध्यात्मिक गहराई का अनुभव भी कराता है. मंदिर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के उचित प्रबंध किए जाते हैं ताकि सभी भक्त शांतिपूर्वक इस पवित्र अनुष्ठान का दर्शन कर सकें.

निष्कर्ष 

आधार पाणा 2025 त्यागराज नगर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के अंतिम महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होगा. यह केवल एक मीठे पेय का अर्पण नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय सेवा, कृतज्ञता और आध्यात्मिक शुद्धि का एक गहरा प्रतीक है. यह पर्व हमें सिखाता है कि हर सेवा, चाहे वह दृश्य हो या अदृश्य, महत्वपूर्ण है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए. त्यागराज नगर का श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी की इस अनमोल परंपरा को दिल्ली में जीवंत रखकर, भक्तों को इस विशिष्ट और पवित्र अनुष्ठान का अनुभव करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है. इस 07 जुलाई को, इस दिव्य भोग के साक्षी बनकर आप भी आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त करें.

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आधार पाणा से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

आधार पाणा एक विशेष उत्सव है जिसमें भगवान जगन्नाथ को एक पारंपरिक मीठा पेय ‘पाणा’ अर्पित किया जाता है, जिससे उन्हें तृप्त किया जाता है।

आधार पाणा रथ यात्रा के अंतिम चरणों में आता है, जब भगवान अपने रथ पर ही विराजमान होते हैं और उन्हें ‘पाणा’ का अर्पण कर सम्मानित किया जाता है।

पाणा एक ठंडा, मीठा और शीतल पेय होता है जिसे चावल, गुड़, फल, नारियल और दही जैसे तत्वों से बनाया जाता है। इसे भक्त विशेष विधि से तैयार करते हैं।

जी हाँ, अर्पण के बाद यह पवित्र ‘पाणा’ महाप्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।

हाँ, यहाँ पर हर वर्ष आधार पाणा का आयोजन विधिपूर्वक होता है। भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है और यह उत्सव मंदिर की भक्ति-सेवा परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।

बिलकुल! मंदिर में संध्या भजन, कथा वाचन और पवित्र पाणा सेवा के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

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