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माँ कालरात्रि की कथा एवं आरती

माँ कालरात्रि की पूजा श्री जगन्नाथ मंदिर दिल्ली में: एक दिव्य अनुभव

माँ कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजित होती हैं। वे भय, नकारात्मक ऊर्जा और दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप उग्र और तीव्र है, लेकिन भक्तों के लिए ये मंगलकारी हैं, और इसलिए इन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा

कहा जाता है कि एक बार रक्तबीज नामक असुर का आतंक पूरे ब्रह्मांड में फैल गया था। उसकी शक्ति से वह अपनी कई संतान उत्पन्न कर लेता था, जिससे देवता और मानव सभी परेशान थे। उसका वध करने के लिए माँ दुर्गा ने कालरात्रि का रूप धारण किया। माँ ने रक्तबीज का सारा रक्त अपनी जिह्वा से सोख लिया और उसका नाश किया। तभी से माँ कालरात्रि को भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है।

माँ कालरात्रि का स्वरूप

माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत भयंकर है। उनका रंग काला है और वे गर्दभ (गधा) पर सवार होती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे खड्ग (तलवार), वज्र और वरमुद्रा धारण करती हैं। माँ की तीव्र दृष्टि से ही दुष्ट शक्तियां नष्ट हो जाती हैं।

माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व

माँ कालरात्रि की उपासना से व्यक्ति भय, नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से मुक्त हो जाता है। इस दिन की पूजा से मंगल, शनि और राहु ग्रह के दोष समाप्त होते हैं। साथ ही, भक्तों को साहस, आत्मबल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

माँ कालरात्रि का मंत्र

“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”

माँ कालरात्रि की आरती

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता। रक्त दन्ता काली, जय कालरात्रि माता॥
चंड मुण्ड संहारे, दुष्टों को संहारे। भक्तों के कष्ट हरती, सुख सम्पत्ति वारे॥
जो भक्त तुम्हें ध्याते, साधक जन लाभ पाते। भय से मुक्ति होती, घर में खुशियां आती॥
रक्तबीज का संहारा, किया महिषासुर मारा। भूत-प्रेत भाग जाते, जब तेरा नाम पुकारा॥
काला रंग सुहाए, जो देखे वो घबराए। पर जो शरण में आए, माँ संकट से बचाए॥
जय अम्बे जय काली, संकट हरने वाली। जो तेरा गुण गाते, भवसागर तर जाते॥
जय माता दी! 🙏

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