दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह कार्तिक मास की अमावस्या (अक्टूबर या नवंबर) को मनाया जाता है और पांच दिवसीय उत्सव का मुख्य पर्व होता है। दीवाली के दिन लोग अपने घरों को दीपों, मोमबत्तियों, और रंगोली से सजाते हैं, माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं, और पटाखे जलाकर खुशी मनाते हैं।
दीवाली का पौराणिक महत्व
दीवाली से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ हैं:
- रामायण से जुड़ी कथा: दीवाली का मुख्य कारण भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का उत्सव माना जाता है। अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था।
- महाभारत से जुड़ी कथा: एक मान्यता के अनुसार, पांडवों के 12 वर्षों के वनवास के बाद उनके स्वागत में दीप जलाए गए थे।
- भगवान कृष्ण की कथा: भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर का वध कर धरती को बुराई से मुक्त किया था। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी माना जाता है।
- माता लक्ष्मी का प्राकट्य: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी इसी दिन प्रकट हुई थीं, और इसीलिए धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए उनकी पूजा की जाती है।
दीवाली के 5 दिन
- धनतेरस: इस दिन घर की सफाई और भगवान धन्वंतरि की पूजा कर स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद माँगा जाता है।
- नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): इसे नरकासुर वध दिवस भी कहा जाता है और इस दिन सफाई और स्नान के बाद दीप जलाकर नरकासुर से मुक्ति का उत्सव मनाया जाता है।
- मुख्य दीवाली: अमावस्या की रात को लक्ष्मी पूजन के साथ दीवाली मनाई जाती है। सभी घरों में माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।
- गोवर्धन पूजा: इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा कर भगवान कृष्ण की भक्ति को दर्शाया जाता है। इसे अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है, और घरों में अन्नपूर्णा की पूजा होती है।
- भाई दूज: भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है, जहाँ बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं।
दीवाली पूजा विधि
- सफाई और सजावट: घर की साफ-सफाई के बाद रंगोली बनाई जाती है और दीप जलाकर घर को सजाया जाता है।
- माँ लक्ष्मी और गणेश पूजन: लक्ष्मी पूजन के दौरान मूर्तियों को साफ कर वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है।
- आरती और प्रसाद: लक्ष्मी पूजन के बाद आरती की जाती है और प्रसाद वितरण होता है।
- पटाखे और आतिशबाजी: पूजा के बाद पटाखे जलाए जाते हैं और परिवार व मित्रों के साथ त्योहार का आनंद लिया जाता है।
दीवाली का संदेश और महत्व
दीवाली का मुख्य संदेश है अज्ञानता से ज्ञान की ओर और अंधकार से प्रकाश की ओर जाना। यह त्योहार समाज में समृद्धि, सौहार्द्र और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देता है। दीवाली हमें बुराई से अच्छाई की जीत का संदेश देती है और हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और खुशियाँ भरने का अवसर देती है।
पर्यावरण और दीवाली
हालांकि पटाखों के बिना दीवाली अधूरी सी लगती है, परंतु बढ़ते प्रदूषण के कारण आजकल हरित दीवाली (Green Diwali) का भी प्रचलन बढ़ रहा है। पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए, दीयों से दीवाली मनाना और प्रदूषण रहित तरीकों से त्योहार का आनंद लेना अधिक जरूरी हो गया है।
निष्कर्ष
दीवाली का पर्व असीम ऊर्जा, उल्लास, और प्रेम का संदेश देता है। यह समाज को एकजुट करने और भाईचारे का प्रतीक है। इस दीवाली, चलिए दीपों की इस महापर्व को खुशियों और हरियाली के साथ मनाएं और अपने जीवन में नई उम्मीदों और सकारात्मकता का स्वागत करें।
दीवाली से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. दीवाली क्यों मनाई जाती है?
- दीवाली भगवान राम, माता सीता, और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, जब उन्होंने 14 वर्षों का वनवास पूरा किया था। यह अच्छाई की बुराई पर जीत और अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है।
2. दीवाली का क्या धार्मिक महत्व है?
- दीवाली माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का पर्व है, जिसमें समृद्धि, सौभाग्य, और धन की कामना की जाती है। यह पर्व हमें सुख-शांति और परिवार की एकता का संदेश देता है।
3. दीवाली कितने दिनों तक मनाई जाती है और उन दिनों का महत्व क्या है?
- दीवाली पांच दिनों का उत्सव है, जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली), मुख्य दीवाली, गोवर्धन पूजा, और भाई दूज शामिल हैं। हर दिन का एक विशेष महत्व और धार्मिक आस्था होती है।
4. दीवाली पर कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
- दीवाली पर घर की साफ-सफाई, रंगोली सजाना, दीये जलाना, माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा, और परिवार के साथ पटाखे जलाना आदि अनुष्ठान किए जाते हैं।
5. क्या दीवाली पर लक्ष्मी पूजा जरूरी है?
- हाँ, दीवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा को शुभ माना जाता है। पूजा से घर में धन, समृद्धि, और सुख-शांति आती है।
6. दीवाली पर क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
- दीवाली पर सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना शुभ माना जाता है। इसे घर में समृद्धि और शुभता लाने का प्रतीक माना जाता है।
7. दीवाली के दौरान रंगोली बनाने का क्या महत्व है?
- रंगोली घर की सुंदरता और लक्ष्मी का स्वागत करने का प्रतीक है। यह शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी मानी जाती है।
8. दीवाली पर दीप जलाने का क्या महत्व है?
- दीप जलाने का अर्थ है अंधकार को दूर करना और ज्ञान तथा अच्छाई का प्रकाश फैलाना। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
9. क्या दीवाली पर पटाखे जलाना जरूरी है?
- पटाखे जलाना दीवाली का एक हिस्सा है, लेकिन अब हरित दीवाली की ओर जागरूकता बढ़ रही है ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे। दीयों और सजावट के माध्यम से भी दीवाली मनाई जा सकती है।
10. श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में दीवाली कैसे मनाई जाती है?
- श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में दीवाली पर विशेष पूजा, माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश का श्रृंगार, और भक्तों के लिए प्रसाद वितरण किया जाता है। यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ होती है और मंदिर को दीपों और सजावट से सजाया जाता है।
11. दीवाली पर दीप जलाने का शुभ समय क्या होता है?
- लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त अमावस्या की शाम को होता है। हर साल शुभ मुहूर्त में पूजा का समय अलग हो सकता है, जो पंचांग के अनुसार तय होता है।
12. क्या दीवाली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?
- नहीं, दीवाली सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, और कई अन्य देशों में भी मनाई जाती है जहाँ भारतीय समुदाय रहते हैं।
ये प्रश्न और उत्तर दीवाली के विभिन्न पहलुओं को समझने में आपकी मदद करेंगे और आपको इस पावन पर्व को अधिक शुभ तरीके से मनाने का मार्गदर्शन देंगे।