करवा चौथ (Karva Chauth): व्रत का महत्त्व, परंपराएं, और कथा
करवा चौथ (Karva Chauth): व्रत का महत्त्व, परंपराएं, और कथा करवा चौथ भारत की सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय परंपराओं में से एक है, जो खासतौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा उनके पति की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है, जो अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है। करवा चौथ का महत्त्व करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और भावनात्मक बंधन है जो पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास, और समर्पण को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं। यह त्यौहार नारी शक्ति, त्याग, और परिवार की खुशहाली का प्रतीक है। करवा चौथ की परंपराएं सोलह श्रृंगार: करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिनमें मेहंदी, चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी, और सुंदर पोशाक शामिल हैं। यह श्रृंगार उनकी नारीत्व और वैवाहिक जीवन की खुशहाली