माँ महागौरी नवरात्रि के आठवें दिन पूजित होती हैं। वे श्वेत रंग की, अति शांत, करुणामयी और तेजस्वी देवी हैं। उनका स्वरूप पूर्ण रूप से शुद्धता और कल्याण का प्रतीक है।
पौराणिक कथा
जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, तब वे कई वर्षों तक घने जंगलों में रहीं और इस कारण उनका शरीर धूल और मिट्टी से ढक गया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे वे अति गौर वर्ण की हो गईं और तब से वे महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।
माँ महागौरी का स्वरूप
उनका वर्ण गौरा (श्वेत) रंग का है।
वे चार भुजाओं वाली हैं।
उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में अभयमुद्रा है।
वे वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं।
वे शांत, करुणामयी और दयालु हैं।
माँ महागौरी की पूजा का महत्व
माँ की कृपा से सभी कष्ट, दुख और पापों का नाश होता है।
जीवन में शांति, समृद्धि और सुख प्राप्त होता है।
विवाहित महिलाओं के लिए माँ की पूजा सौभाग्य और सुख-शांति प्रदान करती है।
कुंवारी कन्याओं के लिए मनचाहा वर प्राप्त करने का आशीर्वाद देती हैं।
मंत्र
“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
माँ महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माई।
सबकी बिगड़ी बना तू आई॥
तेरी कृपा से सुख संपत्ति मिलती।
भक्ति में आए भव बाधा टलती॥
रंग है उज्जवल, रूप सुहाना।
मांग सिंदूर, चंद्र का तिलकाना॥
गले में माला, सोहे कर त्रिशूला।
ध्यान जो धरता, सो धन्य जग वाला॥
जिस पर तेरी कृपा हो माता।
रोग, शोक उसके निकट ना आता॥
तू सब जीवों की भाग्य विधाता।
कृपा करों जगदम्बे माता॥
जय माता दी! 🙏