रथ सप्तमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे सूर्य देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन आध्यात्मिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष रथ सप्तमी 4 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
रथ सप्तमी का धार्मिक महत्व
रथ सप्तमी को ‘आरोग्य सप्तमी’ और ‘सूर्य जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान सूर्य के प्रति समर्पित है, जिन्हें स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन सूर्य देव का विशेष पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आरोग्यता प्राप्त होती है।
रथ सप्तमी 2025 का विशेष कार्यक्रम (Shri Jagannath Temple, Thyagraj Nagar, Delhi)
- सुबह 9.30 से 10.30 बजे:
- बुनियादी व्यायाम और प्राणायाम
- योग के माध्यम से सूर्य नमस्कार
- सुबह 10.30 बजे:
- श्री सूर्य देव मंदिर में दीप दान और आरती
- सुबह 10.45 बजे:
- हलवा प्रसाद वितरण
रथ सप्तमी के दौरान विशेष अनुष्ठान और पूजा विधि
1. पवित्र स्नान (अरुणोदय स्नान)
रथ सप्तमी के दिन भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए। इस स्नान को ‘अरुणोदय स्नान’ कहा जाता है और इसे सूर्योदय से ठीक पहले करने से व्यक्ति सभी बीमारियों और व्याधियों से मुक्त हो जाता है। तमिलनाडु में, भक्त ‘इरुक्कू’ के पत्तों का उपयोग कर इस पवित्र स्नान को संपन्न करते हैं।
2. सूर्य देव को अर्घ्यदान
स्नान के बाद भक्तों को सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। अर्घ्यदान के लिए तांबे के कलश में जल भरकर दोनों हाथों से सूर्य की ओर मुख करके धीरे-धीरे जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। कई लोग इस अनुष्ठान को 12 बार दोहराते हैं और प्रत्येक बार सूर्य भगवान के 12 नामों का जाप करते हैं।
3. दीप दान और सूर्य पूजन
अर्घ्यदान के बाद, घी का दीपक जलाना और सूर्यदेव की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस पूजा में लाल फूल, कपूर और धूप का उपयोग किया जाता है। सूर्य उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सफलता प्राप्त होती है।
4. विशेष रंगोली और सूर्य की प्रतीकात्मक तस्वीरें
रथ सप्तमी के दिन घरों में रंगोली बनाई जाती है, जिसमें सूर्य रथ के सात घोड़ों की छवियां उकेरी जाती हैं। यह परंपरा विशेष रूप से दक्षिण भारत में लोकप्रिय है।
5. दूध उबालने और भोग अर्पण की परंपरा
आंगन में मिट्टी के बर्तन में दूध डालकर सूर्य की ओर मुंह करके उबाला जाता है। फिर इस दूध से मीठे चावल या ‘परमन्नम’ बनाया जाता है, जिसे सूर्य भगवान को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है। यह अनुष्ठान धन, समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किया जाता है।
6. मंत्र जाप और ग्रंथों का पाठ
रथ सप्तमी पर निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- गायत्री मंत्र
- सूर्य सहस्रनाम
- आदित्यहृदयम्
- सूर्याष्टकम
रथ सप्तमी का ज्योतिषीय महत्व
रथ सप्तमी पर सूर्य देव मकर राशि में होते हैं और उत्तरायण गति में रहते हैं। इस दिन को ‘माघ शुक्ल सप्तमी’ भी कहा जाता है, जो एक अत्यंत शुभ तिथि होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कई गुना बढ़कर फल देते हैं।
रथ सप्तमी से जुड़े लाभ
- आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
- सफलता और समृद्धि में वृद्धि
- ग्रह दोष निवारण और विशेष रूप से सूर्य ग्रह की शांति
रथ सप्तमी से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1: रथ सप्तमी क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: रथ सप्तमी सूर्य देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त होती है।
Q2: रथ सप्तमी पर क्या विशेष स्नान किया जाता है?
उत्तर: इस दिन सूर्योदय से पहले ‘अरुणोदय स्नान’ किया जाता है, जिससे व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और आरोग्यता प्राप्त होती है।
Q3: रथ सप्तमी पर क्या खाना चाहिए?
उत्तर: इस दिन मीठे चावल, गुड़, तिल और घी से बने प्रसाद का सेवन शुभ माना जाता है।
Q4: क्या रथ सप्तमी व्रत केवल पुरुषों को करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। यह पूरे परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है।
Q5: क्या रथ सप्तमी के दिन दान करना शुभ होता है?
उत्तर: हां, इस दिन अन्न, वस्त्र और तिल दान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
रथ सप्तमी एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है जो हमें सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान और स्नान न केवल आध्यात्मिक बल्कि स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्रदान करते हैं। अतः इस शुभ दिन पर पूरे परिवार के साथ मिलकर सूर्य देव की पूजा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस वर्ष रथ सप्तमी के विशेष कार्यक्रम में आप सभी आमंत्रित हैं!