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माँ चंद्रघंटा की कथा एवं आरती

🕉️ माँ चंद्रघंटा की पूजा श्री जगन्नाथ मंदिर दिल्ली में: साहस और शांति की देवी नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। श्री जगन्नाथ मंदिर दिल्ली में माँ चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को अद्भुत साहस, आत्मविश्वास और शांति प्राप्त होती है। माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 📜 पौराणिक कथा जब राक्षसों का आतंक बढ़ा और महिषासुर ने देवताओं को परेशान किया, तब देवी पार्वती ने चंद्रघंटा रूप धारण किया। विवाह के दिन, देवी ने युद्ध के लिए दस भुजाओं वाला रूप लिया, जिसमें वे विविध अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित थीं। सिंह पर सवार होकर जब उन्होंने गर्जना की, तो राक्षस भयभीत हो गए और देवताओं की विजय हुई। 🌟 माँ चंद्रघंटा का स्वरूप माँ का रंग स्वर्ण के समान चमकदार होता है। उनके दस हाथों में त्रिशूल, तलवार, धनुष, गदा, कमंडल, कमल, आदि शस्त्र होते

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माँ ब्रह्मचारिणी की कथा एवं आरती

माँ ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित होती हैं। वे तपस्या की देवी मानी जाती हैं और कठोर साधना के प्रतीक स्वरूप हैं। पौराणिक कथा माँ ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म सती के रूप में हुआ था, जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने हजारों वर्षों तक फल-फूल और फिर निर्जल रहकर कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इस कारण वे ब्रह्मचारिणी नाम से प्रसिद्ध हुईं। माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और ज्योतिर्मयी है। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमंडल सुशोभित है। वे ज्ञान, तपस्या और त्याग की प्रतीक मानी जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व इनकी आराधना से आत्मबल, संयम, वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। भक्तों को जीवन में सफलता और इच्छाशक्ति का आशीर्वाद

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माँ शैलपुत्री आरती कथा – जगन्नाथ मंदिर दिल्ली में भक्ति का आरंभ

माँ शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजित होने वाली देवी हैं। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इन्हें पार्वती तथा सती के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथा पिछले जन्म में माँ शैलपुत्री राजा दक्ष की पुत्री थीं और उनका नाम सती था। उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। जब सती को यह पता चला, तो वे बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गईं। वहाँ उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, जिससे व्यथित होकर सती ने स्वयं को यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया। इस घटना के बाद, अगले जन्म में सती पर्वतराज हिमालय के घर में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं। इस जन्म में उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पुनः पति के रूप में प्राप्त किया। माँ शैलपुत्री का स्वरूप माँ शैलपुत्री वृषभ

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नवरात्रि भक्ति, शक्ति और माँ दुर्गा की उपासना

श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में भव्य नवरात्रि महोत्सव नवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा, व्रत, और भजन-कीर्तन के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। 2025 में यह पर्व 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाया जाएगा। नवरात्रि का महत्व नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’, जिनमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह समय आध्यात्मिक जागरूकता, भक्ति और शक्ति के संचार का होता है। भक्तगण व्रत रखते हैं, माँ की आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हर दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है: माँ शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जो शुद्धता और भक्ति का प्रतीक हैं। माँ ब्रह्मचारिणी –

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Pakhala Dibasa – The Celebration of Odisha’s Traditional Cooling Meal

Why We Celebrate Pakhala Dibasa? Pakhala Dibasa, celebrated on 20th March 2025, is a day dedicated to Odisha’s iconic fermented rice dish, Pakhala. This traditional meal, prepared by soaking cooked rice in water overnight, is a staple during the summer months as it helps cool the body. The festival was introduced to honor and popularize this healthy and refreshing dish beyond Odisha, spreading awareness about its nutritional benefits and cultural importance. Cultural Significance and Manyata Pakhala holds deep-rooted cultural significance in Odia households. It is not just food but an emotion that represents the simplicity and sustainability of Odisha’s traditional diet. This dish is believed to have originated in Odisha and later spread to neighboring states like Bengal, Assam, and Chhattisgarh. Due to its cooling properties, it is widely consumed to beat the summer heat, making it an integral part of Odia cuisine. Pakhala is also closely associated with Lord

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होली पर्व 2025: श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में भव्य आयोजन

भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली, रंगों और हर्षोल्लास का पर्व, इस वर्ष भी विशेष श्रद्धा और उमंग के साथ श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में मनाया जाएगा। 9 मार्च 2025 से 14 मार्च 2025 तक इस पावन पर्व का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। होली पर्व का महत्व होली न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम, भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। यह त्योहार भक्त प्रह्लाद की भक्ति और होलिका के अहंकार के अंत की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। श्री जगन्नाथ मंदिर में इस पर्व को पारंपरिक विधियों के अनुसार भव्य रूप से मनाया जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर में होली 2025 का विशेष कार्यक्रम 🔹 13 मार्च 2025 (गुरुवार) 🕕 5:30 PM – 8:00 PM – मदन मोहन परिक्रमा (नगर परिक्रमा और होली) इस दिन भक्तगण भव्य नगर परिक्रमा में

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Free Health Check-Up Camp – Shri Jagannath Mandir, Thyagraj Nagar, Delhi

Take a Step Towards Better Health! Shri Jagannath Mandir, Thyagraj Nagar, is organizing a Free Health Check-Up Camp to promote well-being in the community. This initiative is designed to offer free medical consultations from expert doctors across multiple specialties — because your health deserves priority. 🗓️ Event Details: Date: Sunday, 2nd March 2025 Time: 10:00 AM to 2:00 PM Venue: Hall, Shri Jagannath Mandir, Thyagraj Nagar, Delhi 🩺 Meet Our Expert Doctors:   Get medical advice from highly qualified doctors: Dr. Hemant Saluja – Family Medicine Specialist Dr. Manisha Rana – WHO Clinical Research Officer Dr. Sambhunath Das – AIIMS Cardiac Anesthesiology Expert Dr. B B Dash – Mentor at Rejoice Hospital Dr. Monashis Sahu – Senior Endocrinologist Dr. Vaidya Saghamitra Dash – Panchakarma Specialist Dr. Debashis Panda – Ministry of Ayush, Govt. of India ✅ Services Offered at the Camp:   General Check-Ups: Blood pressure, sugar, physical exams Specialist

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महाशिवरात्रि 2025: उत्सव और महत्व

दिनांक: 26.02.2025 (बुधवार) स्थान: श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है और इस दिन शिव भक्त पूरी श्रद्धा से व्रत, उपवास और रात्रि जागरण करते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में विशेष आयोजन श्री जगन्नाथ मंदिर, त्यागराज नगर, दिल्ली में महाशिवरात्रि का भव्य उत्सव आयोजित किया जाएगा। सुबह 7:00 बजे: पूजा प्रारंभ होगी और मध्य रात्रि (12:30 बजे) तक जारी रहेगी। भक्त इस अवधि में कभी भी पूजा करने के लिए आ सकते हैं। रात्रि 9:00 बजे से 12:30 बजे तक: महारुद्र अभिषेक आरती हवन महादीप उठाने की विशेष प्रक्रिया विशेष भागीदारी: भक्त जो अपने परिवार के लिए महारुद्र अभिषेक में भाग लेना चाहते हैं, वे ₹2100/- का भुगतान करके इस विशेष अनुष्ठान में सम्मिलित

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Dharamshala in Delhi NCR: A Comfortable Stay at Shri Jagannath Mandir, Thyagraj Nagar

Finding a peaceful and budget-friendly stay in Delhi NCR can be challenging, but Shri Jagannath Mandir, Thyagraj Nagar, Delhi offers a serene and comfortable Dharamshala for travelers. Whether you are visiting for spiritual purposes, attending temple events, or exploring the city, this Dharamshala provides a convenient and welcoming stay with all essential amenities. Why Choose Shri Jagannath Mandir Dharamshala? Prime Location – Situated in Thyagraj Nagar, close to major landmarks and well-connected by roads and metro stations. Affordable Stay – Offers budget-friendly accommodation with clean and comfortable rooms. Spiritual Environment – Located within the sacred premises of Shri Jagannath Mandir, making it ideal for devotees. Basic Amenities – Well-maintained rooms, clean washrooms, and a peaceful ambiance for visitors. Nearby Accessibility – Close to Thyagraj Stadium and other essential spots for added convenience. Facilities at Shri Jagannath Mandir Dharamshala Clean and Spacious Rooms – Available in Non-AC, AC Room, Deluxe, and

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वसंत पंचमी 2025: महत्व, पूजा विधि और परंपराएं

🌼 वसंत पंचमी 2025 – श्री जगन्नाथ मंदिर त्यागराज नगर में सरस्वती पूजा महोत्सव    श्री जगन्नाथ मंदिर में वसंत पंचमी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार देवी सरस्वती की पूजा का प्रतीक है और ज्ञान, कला तथा संगीत की देवी के प्रति श्रद्धा दर्शाता है। वसंत पंचमी, जिसे सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में ज्ञान, कला, और संगीत की देवी माँ सरस्वती को समर्पित एक प्रमुख पर्व है। यह बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और 2025 में यह पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। 🌸 वसंत पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इस दिन माँ सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाता है। विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार, लेखक, और संगीत प्रेमी इस दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। देवी का आशीर्वाद ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मक ऊर्जा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 🙏 वसंत पंचमी

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