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श्रीकृष्ण से जगन्नाथ तक: एक दिव्य रूपांतरण की रहस्यमयी कथा

श्रीकृष्ण से जगन्नाथ तक: एक दिव्य रूपांतरण की रहस्यमयी कथा

भगवान श्रीकृष्ण का भगवान जगन्नाथ में रूपांतरण भारतीय पौराणिक कथाओं की एक अद्भुत और रहस्यमयी कथा है। यह कहानी खासकर ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी है, जहां इसे गहरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माना जाता है।

1. श्रीकृष्ण के देहावसान की कथा

महाभारत युद्ध और यादव वंश के विनाश के बाद, श्रीकृष्ण को पता था कि उनका सांसारिक जीवन समाप्त हो रहा है। वे ध्यान में लीन थे जब एक शिकारी, जिसे गलती से जरासंध माना गया, ने उन्हें हिरण समझकर तीर मार दिया। इस तीर के कारण श्रीकृष्ण ने यह शरीर त्याग दिया।

2. श्रीकृष्ण के हृदय का रहस्य

श्रीकृष्ण के देहावसान के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन कहा जाता है कि उनका हृदय अग्नि में नहीं जला। यह दिव्य हृदय सुरक्षित रखा गया और इसे भगवान श्रीकृष्ण की अनंत उपस्थिति का प्रतीक माना गया।

3. पुरी की ओर राजा इंद्रद्युम्न की यात्रा

मालवा के राजा इंद्रद्युम्न, जो भगवान विष्णु के गहरे भक्त थे, को एक दिव्य दर्शन हुआ जिसमें उन्हें पुरी में भगवान विष्णु का मंदिर बनाने का आदेश मिला। उन्होंने श्रीकृष्ण के हृदय को खोजकर पुरी में स्थापित करने का कार्य शुरू किया।

4. भगवान जगन्नाथ की मूर्ति निर्माण कथा

पुरी पहुंचने पर, राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों का निर्माण कराया। इस कार्य के लिए भगवान विश्वकर्मा को बुलाया गया, जिन्होंने मूर्तियों को एक बंद कमरे में गुप्त रूप से बनाया।

5. अधूरी मूर्तियों का रहस्य

विश्वकर्मा ने शर्त रखी थी कि काम पूरा होने तक कोई कमरे का दरवाजा नहीं खोलेगा। लेकिन रानी की उत्सुकता के कारण दरवाजा खोल दिया गया, जिससे मूर्तियाँ अधूरी रह गईं। फिर भी राजा ने इन्हीं मूर्तियों को मंदिर में स्थापित कर दिया।

6. श्रीकृष्ण से भगवान जगन्नाथ का रूपांतरण

अधूरी मूर्तियों में श्रीकृष्ण के हृदय को स्थापित किया गया और इन्हें भगवान जगन्नाथ का रूप माना गया। जगन्नाथ भगवान की ये मूर्तियाँ अनोखी गोल आंखों और बिना हाथ-पैर के विशिष्ट स्वरूप के लिए प्रसिद्ध हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार, भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य रूपांतरण से भगवान जगन्नाथ की स्थापना हुई, जो आज पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। पुरी जगन्नाथ मंदिर का भव्य रथ यात्रा उत्सव भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में गिना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. भगवान जगन्नाथ किस देवता का रूप हैं?
भगवान जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य रूप हैं, जो अधूरी मूर्तियों के रूप में पुरी मंदिर में विराजमान हैं।

2. राजा इंद्रद्युम्न कौन थे?
राजा इंद्रद्युम्न मालवा क्षेत्र के एक भक्त राजा थे, जिन्हें पुरी में भगवान विष्णु का मंदिर बनाने का दिव्य आदेश मिला था।

3. भगवान विश्वकर्मा ने मूर्तियाँ क्यों अधूरी छोड़ीं?
मूर्ति निर्माण के दौरान उन्होंने शर्त रखी थी कि काम पूरा होने तक कोई दरवाजा न खोले। रानी ने दरवाजा खोल दिया जिससे मूर्तियाँ अधूरी रह गईं।

4. रथ यात्रा का क्या महत्व है?
रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ का भव्य उत्सव है, जो भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता है।

संपर्क करें:


श्री जगन्नाथ मंदिर, थ्यागराज नगर, दिल्ली
पता: थ्यागराज नगर, दिल्ली – 110049
निकटतम मेट्रो: मंडी हाउस स्टेशन
फोन:tel:+919319045850

आप मंदिर दर्शन या कार्यक्रमों की जानकारी के लिए ऊपर दिए गए नंबर या ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं।

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