शैलपुत्री – Day 1 Shailaputri 03 October, 2024

Shailaputri

December 22, 2024

शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम स्वरूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के पहले दिन पूजा जाता है। उनका नाम “शैलपुत्री” इस तथ्य को दर्शाता है कि वह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। शैलपुत्री का स्वरूप शांत, शालीन और शक्तिशाली है, और वे नंदी नामक बैल पर सवार हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है, जो उनके साहस, शांति और सौम्यता का प्रतीक है। यह माना जाता है कि शैलपुत्री देवी ही सती और पार्वती के रूप में अवतरित हुई थीं।

शैलपुत्री का पौराणिक महत्व:

शैलपुत्री देवी का जन्म हिमालय पर्वत के घर हुआ था, इसलिए उन्हें “पर्वत की पुत्री” कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में शैलपुत्री देवी, राजा दक्ष की पुत्री सती थीं, जिन्होंने अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में उन्होंने हिमालय के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया और कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को फिर से पति रूप में प्राप्त किया। इस प्रकार शैलपुत्री का जीवन समर्पण, शक्ति, और दिव्यता का प्रतीक है।

पूजा विधि:

नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है। यह दिन नवरात्रि का प्रारंभिक चरण होता है और इस दिन की पूजा विधि विशेष रूप से शुद्ध और पवित्र मानी जाती है।

  • कलश स्थापना: नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसमें देवी का आह्वान किया जाता है। यह पूजा शैलपुत्री देवी को समर्पित होती है।
  • ध्यान और मंत्र: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करते हुए देवी की ध्यानस्थ मूर्ति के सामने प्रार्थना की जाती है।
  • पूजा सामग्री: गंगाजल, चंदन, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीपक, और नैवेद्य जैसे सामग्री का उपयोग किया जाता है। कमल के पुष्प विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये शैलपुत्री को अत्यंत प्रिय हैं।
  • नैवेद्य: प्रसाद के रूप में शुद्ध भोजन अर्पित किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से फल, दूध, और हलवा शामिल होता है। साथ ही, देवी को सफेद रंग के वस्त्र और चावल भी चढ़ाए जाते हैं।

शैलपुत्री की उपासना का महत्व:

शैलपुत्री की पूजा से मनुष्य को शक्ति, स्थिरता, और धैर्य प्राप्त होता है। देवी की उपासना से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति मिलती है। उनकी कृपा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही वे अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

शैलपुत्री की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनना चाहते हैं। यह पूजा समर्पण, संयम, और साधना का प्रतीक है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और दिव्यता की ओर प्रेरित करती है।

इस प्रकार, शैलपुत्री देवी की पूजा से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का भी आगमन होता है।

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