November 6, 2024
माँ कूष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। “कूष्मांडा” शब्द का अर्थ है “कुम्हड़ा” (एक प्रकार का फल) और “अंडा” का अर्थ है ब्रह्मांड, जो दर्शाता है कि देवी ने ब्रह्मांड की रचना की है। माँ कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है, जिन्होंने अपने हल्के से मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की।
माँ कूष्मांडा का पौराणिक महत्व:
माँ कूष्मांडा की उत्पत्ति तब हुई जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार फैला हुआ था और कहीं कोई जीवन या प्रकाश नहीं था। ऐसी स्थिति में देवी ने अपने अलौकिक तेज और मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया। यह भी माना जाता है कि सृष्टि की रचना के समय देवी ने सूर्य मंडल के बीच अपने निवास का स्थान बनाया और उनके तेज से ही सूर्य का प्रकाश फैला।
उनकी आठ भुजाएँ हैं, जिसके कारण उन्हें “अष्टभुजा” देवी भी कहा जाता है। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है। माँ सिंह पर सवार रहती हैं और उनका यह रूप भक्तों को जीवन में नई ऊर्जा, शक्ति और सकारात्मकता प्रदान करता है।
माँ कूष्मांडा का स्वरूप:
माँ कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और शक्तिशाली है। उनका यह रूप जीवन में प्रकाश और ऊर्जा का संचार करने वाला है। उनके आठ हाथों में दिव्य शस्त्र और वस्त्र सुशोभित होते हैं, जो उनकी सभी दिशाओं में व्याप्त शक्तियों का प्रतीक हैं। माँ के चेहरे पर मुस्कान और शांति का भाव होता है, जो यह दर्शाता है कि उनकी साधना से संसार के सभी दुःख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
पूजा विधि:
माँ कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से ऊर्जा और स्वास्थ्य का आशीर्वाद लेकर आती है।
- मंत्र: “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए पूजा की जाती है।
- पूजा सामग्री: देवी को पुष्प, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। माँ को विशेष रूप से कुम्हड़ा (पेटा) अर्पित किया जाता है, क्योंकि इसे उनके लिए शुभ माना जाता है।
- नैवेद्य: प्रसाद के रूप में माँ को शुद्ध घी का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि इससे भक्तों का स्वास्थ्य और समृद्धि बढ़ती है।
माँ कूष्मांडा की पूजा का महत्व:
माँ कूष्मांडा की उपासना से मानसिक और शारीरिक शक्तियों में वृद्धि होती है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को दीर्घायु, रोगों से मुक्ति, और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। माँ कूष्मांडा की कृपा से व्यक्ति जीवन के कठिन संघर्षों का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है और उसे मानसिक शांति तथा संतुलन प्राप्त होता है।
माँ की उपासना से भक्तों को सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली बाधाओं और नकारात्मकताओं का नाश होता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने का मार्ग मिलता है।